मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

 मोल 
कामयाबी किसी  को यूँ  ही नहीं मिलती ,
हीरे  कोयले की ऐसे ही नहीं बनती ,
तपना पड़ता है उसे ताप और दाब में
तब कहीं मुमकिन होता है हीरा बनना ।

मगर दोस्तों अभी सफ़र कहाँ  ख़तम है
है तो अभी वह पथ्थर  ही,
जाना है उसे जौहरी के पास 
जो जानता  है उसकी कीमत ।

तब वह तराशा जायेगा
तब वो चमकेगा और इतरायेगा ,
नुमाइश होगी  उसकी बाज़ार में ,
तब उसका मोल पहचाना जायेगा ।

-सृजन 


सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

 कुछ  बातें ................

बातें  कुछ ऐसी  हो  जाती  हैं ,
जबाँ  ख़ामोश  हो जाती हैं ।
वो  उड़ा करते थे आसमान  में ,
अब तो जमीं पर कदम जड़ जाते हैं ।

मुलाकातों  का सिलसिला  भी,
हसीन था इस कदर 
कि अब वो तस्वीर ,
दिल में उतर आती है ।

ज़िन्दगी कुछ ऐसे ताने -बाने  बुनती है ,
कि उलझ के रह जाते हैं  ,
बस एक कसर  थी जहन में ,
जो मन के किसी कोने में ठहर जाती है ।

इस  दौर का क्या कहना ,
वो  रुक से गए हैं 
वर्ना वो  लोगों की नाव ,
पार लगाया करते थे ।


 -सृजन