मोल
कामयाबी किसी को यूँ ही नहीं मिलती ,
हीरे कोयले की ऐसे ही नहीं बनती ,
तपना पड़ता है उसे ताप और दाब में
तब कहीं मुमकिन होता है हीरा बनना ।
मगर दोस्तों अभी सफ़र कहाँ ख़तम है
है तो अभी वह पथ्थर ही,
जाना है उसे जौहरी के पास
जो जानता है उसकी कीमत ।
तब वह तराशा जायेगा
तब वो चमकेगा और इतरायेगा ,
नुमाइश होगी उसकी बाज़ार में ,
तब उसका मोल पहचाना जायेगा ।
-सृजन
कामयाबी किसी को यूँ ही नहीं मिलती ,
हीरे कोयले की ऐसे ही नहीं बनती ,
तपना पड़ता है उसे ताप और दाब में
तब कहीं मुमकिन होता है हीरा बनना ।
मगर दोस्तों अभी सफ़र कहाँ ख़तम है
है तो अभी वह पथ्थर ही,
जाना है उसे जौहरी के पास
जो जानता है उसकी कीमत ।
तब वह तराशा जायेगा
तब वो चमकेगा और इतरायेगा ,
नुमाइश होगी उसकी बाज़ार में ,
तब उसका मोल पहचाना जायेगा ।
-सृजन